भारतीय समाचार चैनलों की सुर्खियाँ भारतीय संसद में वक्फ अधिनियम में संशोधन के बारे में चल रही बहस से भरी हुई हैं। आइए जानें कि यह क्या है, इस अधिनियम के बारे में आपको क्या जानना चाहिए और इसका देश पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
प्रस्तावित वक्फ संशोधन विधेयक 2024 का मकसद भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और नियमों में बड़े बदलाव करना है। अगर यह विधेयक पास हो जाता है, तो यह 1995 के वक्फ कानून में कई अहम बदलाव करेगा, जिसे आखिरी बार 2013 में बदला गया था। इस संशोधन ने देशभर में जोरदार बहस और विवाद खड़ा कर दिया है। समर्थक इसे पारदर्शिता बढ़ाने के लिए जरूरी मानते हैं, जबकि विरोधी इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर असर डालने वाला बता रहे हैं।
वक्फ अधिनियम, 1995
वक्फ अधिनियम, 1995 भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को नियंत्रित करता है। मुस्लिम शासन के समय, वक्फ का विचार कुरान की धार्मिक भावना से मेल खाता था। वक्फ का मतलब था किसी मुसलमान द्वारा अपनी चल या अचल संपत्ति को भगवान के नाम पर दान देना। इसका उद्देश्य गरीबों की मदद करना और धार्मिक कामों को समर्थन देना, स्कूलों को पैसा देना, कब्रिस्तानों और मस्जिदों की देखभाल करना, और आश्रय गृहों को समर्थन देना होता है।
वक्फ अधिनियम वक्फ संपत्तियों का मुख्य कानून है। इसके अलावा, स्थिति के आधार पर अन्य कानून जैसे किरायेदारी कानून भी लागू हो सकते हैं। वक्फ अधिनियम, 1995, भारत के सभी राज्यों और क्षेत्रों पर लागू होता है।
एक बार जब कोई संपत्ति वक्फ के तौर पर स्थापित हो जाती है, तो उसे वापस नहीं लिया जा सकता। करीब 30 वक्फ बोर्ड 9 लाख एकड़ जमीन का प्रबंधन करते हैं, जिसकी कीमत लगभग 1.2 लाख करोड़ रुपये है। वक्फ बोर्ड भारत में सबसे बड़े जमींदारों में तीसरे नंबर पर हैं, रेलवे और रक्षा मंत्रालय के बाद।
वक्फ बोर्ड अधिनियम के मुख्य बिंदु
पृष्ठभूमि और वक्फ अधिनियम के तहत प्रावधान
केंद्रीय वक्फ परिषद एक सरकारी संस्था है जो अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के तहत काम करती है। इसे 1964 में वक्फ अधिनियम, 1954 के तहत बनाया गया था। इसका काम वक्फ बोर्डों के कामकाज और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन पर केंद्र सरकार को सलाह देना था।
वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2013 के तहत परिषद की जिम्मेदारी बढ़ गई है। अब यह केंद्रीय सरकार, राज्य सरकारों और राज्य वक्फ बोर्डों को सलाह दे सकती है। इसके अलावा, परिषद वक्फ बोर्डों को निर्देश देगी कि वे बोर्ड की वित्तीय स्थिति, सर्वेक्षण, राजस्व रिकॉर्ड, वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण, वार्षिक रिपोर्ट और ऑडिट रिपोर्ट की जानकारी प्रदान करें। यह सब वक्फ अधिनियम की धारा 9 (4) के तहत किया गया।
केंद्रीय वक्फ परिषद में एक अध्यक्ष होते हैं, जो वक्फ का जिम्मेदार केंद्रीय मंत्री होता है, और अन्य सदस्य होते हैं, जिनकी संख्या 20 से अधिक नहीं होती और जिन्हें भारत सरकार नियुक्त करती है। वर्तमान में, श्री किरेन रिजिजू, अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री, केंद्रीय वक्फ परिषद के अध्यक्ष हैं।
वक्फ एक्ट 1995 और इसके संशोधन एक्ट 2013 के तहत वक्फ की सुरक्षा, पुनःप्राप्ति और ई-मॉनिटरिंग।
इसका मिशन है, कि वक्फ की सुरक्षा और विकास में सक्रिय भूमिका निभाना और राज्य वक्फ बोर्डों के साथ मिलकर उनकी कार्यप्रणाली को बेहतर बनाना।
मुख्य कार्य
नया बिल क्यों?
इस बिल का उद्देश्य है कि वक्फ की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को एक केंद्रीय पोर्टल और डेटाबेस के माध्यम से सरल बनाया जाए। रिपोर्ट के अनुसार, वक्फ संपत्तियों को रिकॉर्ड करने से पहले सभी संबंधित लोगों को नोटिस देना और राजस्व कानूनों के अनुसार म्यूटेशन की विस्तृत प्रक्रिया स्थापित की गई है।
सरकार का कहना है कि इस बिल का उद्देश्य वक्फ बोर्डों की पारदर्शिता और जिम्मेदारी बढ़ाना है। इसके साथ ही, इन बोर्डों में महिलाओं को शामिल करना भी जरूरी किया जाएगा। यह बदलाव मुस्लिम समुदाय की मांगों के जवाब में किया गया है।
मुख्य प्रस्तावित बदलाव
1. पंजीकरण अनिवार्य: बिल के अनुसार, सभी वक्फ संपत्तियों को जिला कलेक्टर के दफ्तर में पंजीकृत करना जरूरी होगा। इससे इन संपत्तियों का सही तरीके से मूल्यांकन और रिकॉर्ड किया जा सकेगा।
2. सरकारी संपत्तियों की छूट: सरकारी संपत्तियाँ, जो वक्फ संपत्ति के रूप में पहचानी गई हों या घोषित की गई हों, इस कानून के तहत वक्फ संपत्ति नहीं मानी जाएँगी।
3. जिला कलेक्टर का निर्णय: जिला कलेक्टर यह तय करेंगे कि कोई संपत्ति वक्फ है या सरकारी जमीन। यह फैसला अंतिम होगा और राजस्व रिकॉर्ड में जरूरी बदलाव लाएगा।
4. उच्च न्यायालय में अपील: वक्फ बोर्ड के फैसलों पर विवादों को उच्च न्यायालयों में अपील किया जा सकेगा, जिससे समस्या का समाधान तेजी से होगा।
5. दस्तावेज़ीकरण की जरूरतें: बिल वक्फ संपत्ति घोषित करने के लिए दस्तावेज़ीकरण की जरूरतों को कड़ा करेगा। बिना सही वक्फनामा के, संपत्ति की वक्फ स्थिति विवादित हो सकती है।
6. सरकारी ऑडिट: केंद्रीय सरकार को किसी भी वक्फ संपत्ति का ऑडिट कराने का अधिकार मिलेगा, जो Comptroller and Auditor-General of India या नामित सरकारी अधिकारियों द्वारा किया जाएगा।
विवाद और बहस
प्रस्तावित संशोधन एक गर्म बहस का कारण बन गया हैं। विपक्षी पार्टियाँ कहती हैं कि ये बदलाव मुस्लिम समुदाय को उनकी ज़मीन, संपत्तियों, और संविधान के अनुच्छेद 26 के तहत धार्मिक मामलों को प्रबंधित करने के अधिकार से हटा सकते हैं।
वहीं, बिल के समर्थक, जिसमें ruling NDA सरकार भी शामिल है, कहते हैं कि ये बदलाव वक़्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और बेहतर प्रबंधन लाने के लिए जरूरी हैं। उनका कहना है कि मुस्लिम समुदाय के भीतर भी प्रबंधन की गड़बड़ी और संपत्तियों पर विवाद के चलते यह नियम जरूरी हो गए हैं।
यह विवाद और भी बढ़ गया है क्योंकि देशभर में वक़्फ़ बोर्ड कई संपत्तियों को “वक़्फ़” घोषित कर रहे हैं। ये दावे अक्सर कानूनी झगड़ों और सामाजिक तनाव को जन्म देते हैं, खासकर जब संपत्तियाँ ऐतिहासिक या सांस्कृतिक महत्व की होती हैं।
निष्कर्ष
वक्फ संशोधन विधेयक 2024 भारत में वक्फ संपत्तियों को प्रबंधित करने का तरीका बदलने वाला है। इसके समर्थक मानते हैं कि इससे जरूरी सुधार और पारदर्शिता आएगी, जबकि आलोचक डरते हैं कि यह धार्मिक स्वतंत्रता और समुदाय के अधिकारों पर असर डाल सकता है। इस विधेयक की प्रगति पर धार्मिक नेता, कानूनी विशेषज्ञ और राजनीतिक विश्लेषक ध्यान देंगे।
इस विधेयक का परिणाम वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और धार्मिक स्वायत्तता, सरकारी हस्तक्षेप और समुदाय के अधिकारों के बीच संतुलन पर असर डाल सकता है। भारत की जटिल सामाजिक व्यवस्था में यह मामला बहुत महत्वपूर्ण है।