संयुक्त भारत
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कौन है सुहास सुब्रमण्यम जो पूरे विश्व में चर्चा का विषय बना हुआ है?

सीनेटर सुहास सुब्रमण्यम

स्टर्लिंग से सीनेट तक

Posted
Jul 01, 2024

सुहास सुब्रमण्यम, एक ऐसा नाम है जो हाल ही में पूरे भारत में ही नहीं पुरे विश्व में चर्चा का विषय बना हुआ है। उनकी काबिलियत, कड़ी मेहनत, और दृढ़ संकल्प ने उन्हें एक ऐसी पहचान दी है जो शायद किसी और को हासिल करने में वर्षों लग सकते हैं। तो आइए जानते हैं, आखिर सुहास सुब्रमण्यम कौन हैं और क्यों वह पूरे भारत में चर्चा का विषय बने हुए हैं।

 

जीवन परिचय

सुहास सुब्रमण्यम (37 वर्षीय) का जन्म ह्यूस्टन में हुआ था। उनके माता-पिता बैंगलुरु से अमेरिका शिफ्ट हुए थे। साल 2015 में तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने सुहास को व्हाइट हाउस में टेक्नोलॉजी पॉलिसी एडवाइजर नियुक्त किया था।

मीडिया से बातचीत में सुहास ने कहा कि वह अमेरिका के बेहतर भविष्य के लिए कांग्रेस का चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा, "कांग्रेस का काम समस्याएं सुलझाना और भविष्य के प्रति सचेत रहना है। हम सिर्फ अगले दो-तीन सालों के लिए नहीं, बल्कि अगले 20-30 सालों के लिए कानून बनाएंगे। मैं चाहता हूं कि मेरे बच्चे एक बेहतर समाज और दुनिया में रहें।"

सुहास ने बताया कि उनके माता-पिता बंगलूरू और चेन्नई से हैं और कुछ समय सिकंद्राबाद में भी रहे। वे बेहतर भविष्य की तलाश में अमेरिका आए थे। जब उनके माता-पिता यहां आए, तो उनके पास ज्यादा कुछ नहीं था, लेकिन मेहनत और शिक्षा के दम पर वे सफल हुए। सुहास चाहते हैं कि सभी को अमेरिका में अपने सपने पूरे करने का मौका मिलना चाहिए। हर कोई यहां आकर अपनी मेहनत से सफल हो सकता है और सुहास चाहते हैं कि यह हमेशा ऐसा ही रहे।

 

सीनेटर सुहास सुब्रमण्यम

 

शिक्षा और करियर

सुहास ने अपनी उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका का रुख किया। उन्होंने 2008 में ट्यूलेन यूनिवर्सिटी से B.A फिलॉसोफी (दर्शन विज्ञान) में ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की और 2013 में नॉर्थवेस्टर्न विश्वविद्यालय से J.D प्राप्त की। सुहास ने वकील के रूप में अपने करियर की शुरुआत की और बाद में बारक ओबामा (डेमोक्रेट) के प्रशासन के दौरान व्हाइट हाउस में प्रौद्योगिकी नीति के विशेष सहायक और नीति सलाहकार के रूप में भी काम किया।

 

पहले भारतीय-अमेरिकी जिन्होंने डेमोक्रेटिक प्राइमरी चुनाव में जीत हासिल की

भारतीय मूल के सुहास सुब्रमण्यम (डेमोक्रेटिक पार्टी) ने वर्जीनिया राज्य में डेमोक्रेटिक पार्टी के प्राइमरी चुनाव में जीत हासिल की और वह पहले भारतीय-अमेरिकी नागरिक बने हैं जिन्होंने यह किया है। अब वह 32 जिलों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। सुहास ने केवल यह चुनाव जीता, बल्कि 11 अन्य उम्मीदवारों को हराकर वर्जीनिया सीट हासिल की। जिन 11 उम्मीदवारों को सुहास ने हराया, उनमें से भारतीय मूल की क्रिस्टल कौल भी शामिल हैं।

 

अगर बात की जाए की सुहास कुल कितने मतों से जीते हैं, तो सुब्रमण्यम को 30.3% वोट मिले। वही डैन हेलमर (डेमोक्रेट) 26.8% वोटो के साथ दूसरे स्थान पर रहे। अतीफ करनी (डेमोक्रेट) को 10.6% वोट मिले, इलीन फिलर-कॉर्न (डेमोक्रेट) को 9.3% वोट और जेनिफर बोयस्को (डेमोक्रेट) को 9.1% वोट मिले। जबकि बोयस्को, फिलर-कॉर्न, हेलमर, और सुब्रमण्यम इन चार उम्मीदवारों ने स्थानीय मीडिया के माध्यम से अपने संदेश को आम जनता तक पहुंचाया।

 

 

सीनेटर सुहास सुब्रमण्यम

 

सुहास ने 10 जनवरी, 2024 को पदभार संभाला। उनका वर्तमान कार्यकाल 12 जनवरी, 2028 को समाप्त होगा। सुब्रमण्यम (डेमोक्रेटिक पार्टी) वर्जीनिया के 10वें कांग्रेसनल डिस्ट्रिक्ट का प्रतिनिधित्व करने के लिए अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स के चुनाव में भाग ले रहे हैं। वह 5 नवंबर, 2024 को आम चुनाव में बैलेट पर हैं। उन्होंने 18 जून, 2024 को डेमोक्रेटिक प्राइमरी जीतकर यह मुकाम हासिल किया।

आपको बता दें की सुहास ने पहले भी राजनीती में अपनी सक्रीय भूमिका निभाई है। सुब्रमण्यम पहले ऐसे भारतीय- अमेरिकी, दक्षिण एशियाई मूल के और हिन्दू नेता है, जिन्होंने 2019 में वर्जीनिया जनरल असेंबली और 2023 में वर्जीनिया स्टेट सीनेट के लिए भी चुनाव लड़ा था।

 

नई नीतियाँ और समाज सेवा

सुहास की नीतियाँ हमेशा से ही लोगों की भलाई के लिए रही हैं। उन्होंने अपने क्षेत्र में कई समाज सेवा के कार्य किए और लोगों की समस्याओं का समाधान किया। उनकी नई नीतियाँ और योजनाएँ हमेशा जनता के हित में रही हैं। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार के क्षेत्र में कई सुधार किए हैं। उन्होंने अपनी पारदर्शी नीतियों के माध्यम से समाज के हर वर्ग को विकास और समृद्धि की दिशा में ले जाने का प्रयास किया है। इन्ही सब कारणों से सुहास का प्रभाव न सिर्फ उनके क्षेत्र में, बल्कि पूरे भारत में देखा जा सकता है। उनकी नीतियाँ और समाज सेवा के कार्य हमेशा से ही लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत रहे हैं। उनके कार्यों की वजह से वह पूरे भारत में चर्चा का विषय बने हुए हैं। उनकी लोकप्रियता दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

 

निष्कर्ष

अंत में, सुहास एक ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत और संकल्प से एक ऐसा मुकाम हासिल किया है जो शायद किसी और को हासिल करने में वर्षों लग सकते हैं। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि अगर हम सभी दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत काम करें तो हम किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं। वह एक सच्चे नेता हैं और उनके कार्य हमेशा से ही समाज के हर वर्ग के लिए लाभदायक रहे हैं। उनकी नई सोच और नीतियाँ हमेशा से ही लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत रही हैं।

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