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भारत का टैक्स सिस्टम: भारतीय कर प्रणाली के बारें में जानें

भारत का टैक्स सिस्टम

वित्त पर नियंत्रण रखना

Posted
Jul 02, 2024

भारत का टैक्स सिस्टम एक व्यापक और जटिल प्रणाली है, जो देश की आर्थिक नींव को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हर देश की सरकार को अपनी ज़रूरी काम और जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए धन की आवश्यकता होती है। इसमें स्कूल, अस्पताल चलाना, सड़कों और पुलों का निर्माण करना और जनता के लिए योजनाएं बनाना शामिल है। इन सबके लिए सरकार अपने नागरिकों से कर (टैक्स) लेती है।

हर देश में कर लेने की एक उचित प्रक्रिया होती है, जिसे सरकार के द्वारा बनाया जाता है। भारत भी इसमें अलग नहीं है। यहां भी सरकार लोगों से अलग-अलग प्रकार के कर लेती है ताकि देश के विकास के लिए विभिन्न परियोजनाओं के लिए काम कर सके। इस ब्लॉग में हम भारतीय कर प्रणाली के विभिन्न पहलुओं को सरल और आसान भाषा में समझेंगे, ताकि हर कोई इसे बेहतर तरीके से समझ सके।

 

टैक्स के प्रकार

भारतीय टैक्स प्रणाली अच्छी तरह से संरचित है और इसमें तीन-स्तरीय संघीय संरचना है। इसका मतलब है कि कर वसूली का काम केंद्र सरकार, राज्य सरकार और स्थानीय निकायों द्वारा किया जाता है। केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए करों में आयकर, कॉर्पोरेट टैक्स, और वस्त्र एवं सेवा कर (GST) शामिल हैं। राज्य सरकारें भी अपने स्तर पर कर लगाती हैं, जैसे कि राज्य GST, संपत्ति कर, और मनोरंजन कर। इसके अलावा, स्थानीय निकाय जैसे नगर निगम भी संपत्ति कर और जल कर जैसी सेवाओं के लिए कर वसूलते हैं।

 

भारत का टैक्स सिस्टम

 

इस तीन-स्तरीय संरचना का मुख्य उद्देश्य है कि हर स्तर पर सरकारी सेवाओं और विकास कार्यों के लिए उचित वित्तीय संसाधन उपलब्ध हों ताकि देश की जनता को बेहतर सेवाएं और सुविधाएं मिल सकें। इस तरह की संरचना भारत को एक मजबूत और संतुलित आर्थिक ढांचे के रूप में स्थापित करती है।

भारत में कर प्रणाली को मुख्यतः प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर में बाँटा जाता है। आइए इन दोनों प्रकार के करों को समझें और उनके बीच के अंतर को जानें।

 

 प्रत्यक्ष कर (Direct Tax)

प्रत्यक्ष कर / डायरेक्ट टैक्स सीधे लोगों की आय या लाभ पर लगाया जाता है। उदाहरण के लिए, आयकर, व्यक्तिगत संपत्ति कर, एफबीटी आदि। यह कर उस व्यक्ति पर सीधा बोझ डालता है जिस पर कर लगाया गया है और इसे किसी और पर नहीं डाला जा सकता है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) इन करों को नियंत्रित और प्रशासित करता है।

 

प्रत्यक्ष कर के प्रकार

  • आयकर (Income tax): आयकर एक ऐसा कर है जो साल भर में कमाई गई आय और लाभ पर लगाया जाता है। यह प्रत्यक्ष कर का सबसे आम उदाहरण है। "आयकर" शब्द से ही स्पष्ट है कि यह केंद्र सरकार द्वारा व्यक्तियों और व्यवसायों की कमाई पर लगाया जाता है।

आपको कितना आयकर देना होगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप विभिन्न स्रोतों से कितनी आय कमा रहे हैं। उदाहरण के लिए, वेतन, व्यापार लाभ, किराया, ब्याज आदि से अर्जित आय। वित्तीय वर्ष 2022-2023 के लिए, आयकर उन लोगों पर लागू होता है जिनकी वार्षिक आय 2.5 लाख रुपये से अधिक है। इससे कम आय वालों को आयकर नहीं देना पड़ता।

इस प्रकार, आयकर एक महत्वपूर्ण कर है जो हमारी सरकार को अपनी सेवाओं और विकास कार्यों के लिए धन उपलब्ध कराता है।

  • कंपनी कर (Corporate Tax): यह कर कंपनियों की शुद्ध आय पर लगाया जाता है। बड़ी और छोटी कंपनियों के लिए दरें अलग-अलग हो सकती हैं।

 

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT): यह बोर्ड प्रत्यक्ष करों को नियंत्रित और प्रशासित करता है।

 

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अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax)

इसके विपरीत, अप्रत्यक्ष कर  / इंदिरेक्ट टैक्स वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाता है। इसे एक करदाता से दूसरे पर स्थानांतरित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, थोक विक्रेता इसे खुदरा विक्रेता को देता है, जो इसे ग्राहकों को देते हैं। इसलिए, अंत में ग्राहक ही अप्रत्यक्ष करों का बोझ उठाते हैं। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) इन करों को नियंत्रित और प्रशासित करता है।

अप्रत्यक्ष कर के प्रकार

  • वस्त्र एवं सेवा कर (GST): यह विभिन्न वस्त्रों और सेवाओं पर लगाया जाने वाला सबसे प्रमुख अप्रत्यक्ष कर है, जिसे 2017 में लागू किया गया। GST को केंद्रीय GST (CGST), राज्य GST (SGST), और इंटीग्रेटेड GST (IGST) में विभाजित किया गया है। यह कर वस्त्रों और सेवाओं की बिक्री पर लगाया जाता है।

 

  • कस्टम ड्यूटी (Custom Duty): यह कर उन वस्त्रों पर लगाया जाता है जो विदेशों से भारत में आयात की जाती हैं। इसका उद्देश्य देश की घरेलू उद्योगों को संरक्षण देना है।

 

  • उत्पाद शुल्क (Excise Duty): यह देश के भीतर उत्पादित कुछ वस्त्रों के लाइसेंस, बिक्री या उत्पादन पर लगाया जाने वाला कर है।

 

  • बिक्री कर: यह एक प्रकार का अप्रत्यक्ष कर है जो विक्रेता, कर योग्य वस्त्र को बेचते समय खरीदार से वसूलता है। विक्रेता उस खरीदार की ओर से सरकार को कर का भुगतान करता है। बिक्री कर सत्ता में बैठे अधिकारी और उनकी नीतियों पर निर्भर करता है। बिक्री कर के कुछ महत्वपूर्ण प्रकार हैं: निर्माता बिक्री कर, थोक बिक्री कर, उपयोग कर, मूल्य वर्धित कर (VAT), और खुदरा बिक्री कर।

 

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC): यह बोर्ड अप्रत्यक्ष करों को नियंत्रित और प्रशासित करता है।

हालाँकि, जीएसटी के लागू होने के बाद, अधिकांश वस्त्रों और सेवाओं पर उत्पाद शुल्क, सेवा कर, वैट और राज्य/केन्द्रीय बिक्री कर को जीएसटी द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया है।

 

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ध्यान देने योग्य बातें:

  • ITR भरने की अंतिम तारीख 31 जुलाई है।
  • एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते समय पर टैक्स भरें।
  • हमेशा भरोसेमंद CA से राय लें।
  • ITR फॉर्म भरने के लिए लीगल व उचित वेबसाइट का उपयोग करें और स्लिप जरूर लें।

 

निष्कर्ष

भारतीय कर प्रणाली एक मजबूत और प्रभावशाली ढांचा है जो देश की आर्थिक मजबूती और सामाजिक कल्याण में अहम भूमिका निभाती है। यह सरकार को आवश्यक राजस्व प्रदान करती है। यह प्रणाली दो मुख्य प्रकार के करों - प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों - पर आधारित है। प्रत्यक्ष कर सीधे आय या लाभ पर लगाया जाता है, जबकि अप्रत्यक्ष कर वस्त्रों और सेवाओं की खरीद पर लगाया जाता है।

भारत में कर का सही और समय पर भुगतान करना प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है। यह केवल कानूनी रूप से आवश्यक है बल्कि देश के विकास और कल्याण के लिए भी महत्वपूर्ण है। कर प्रणाली के अंतर्गत दी गई छूटें और योजनाएं नागरिकों को राहत प्रदान करती हैं और उन्हें समय पर कर भुगतान के लिए प्रेरित करती हैं।

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