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मानसून सीजन में वेक्टर- जनित बिमारियों से बचने के उपाय

मानसून सीजन में वेक्टर- जनित बिमारियों

मानसून के खतरे को मात दें

Posted
Jul 06, 2024

 

भारत में मानसून का आगमन हो गया है। बरसात के आने से गर्मी से तो राहत मिली है, लेकिन साथ ही कुछ चुनौतियाँ भी आई हैं। मानसून के साथ कई प्रकार की वेक्टर-जनित बीमारियाँ, जैसे डेंगू, मलेरिया, और चिकनगुनिया फैलने का खतरा बढ़ जाता है। इन बीमारियों का मुख्य कारण मच्छरों का प्रजनन होता है, जो बारिश के पानी में आसानी से पैदा होतें है। इसलिए, मानसून के मौसम में हमें विशेष सावधानी बरतनी चाहिए और अपने घर और आस-पास के क्षेत्रों को साफ़-सुथरा रखना चाहिए। इस ब्लॉग में, हम वेक्टर-जनित बीमारियों से बचने के विभिन्न उपायों पर विस्तार से चर्चा करेंगे, ताकि आप और आपका परिवार स्वस्थ और सुरक्षित रह सके।

 

वेक्टर-जनित रोग क्या हैं?

वेक्टर-जनित रोग वे बीमारियाँ हैं जो जीवित वाहकों (वेक्टर) द्वारा एक जीव से दूसरे जीव में फैलती हैं। ये वेक्टर आमतौर पर कीड़े होते हैं, जैसे मच्छर, मक्खियाँ, पिस्सू, जूँ, और टिक। ये जीवाणुओं, विषाणुओं, या परजीवियों को एक मेज़बान (होस्ट) से दूसरे मेज़बान में स्थानांतरित करते हैं, जिससे रोग फैलता है।

WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार हर साल मलेरिया, डेंगू, शिस्टोसोमियासिस, अफ्रीकी ट्रिपैनोसोमियासिस, लीशमैनियासिस, चागास रोग, पीला बुखार, जापानी इंसेफेलाइटिस और ऑन्कोसेरसियासिस जैसी बीमारियों से 700,000 से अधिक लोगो की मौतें होती हैं।

2014 से, डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, पीला बुखार और जीका के बड़े प्रकोपों ​​ने कई देशों में आबादी को प्रभावित किया है, लोगों की जान ली है और स्वास्थ्य प्रणालियों को प्रभावित किया है।

 

मानसून सीजन में वेक्टर- जनित बिमारियों

 

प्रमुख वेक्टर-जनित रोग

  • डेंगू (Dengue)

फैलाव: एडीस एजिप्टी (Aedes aegypti) मच्छर के काटने से।

लक्षण: तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, त्वचा पर रशेस।

  • मलेरिया (Malaria)

फैलाव: एनोफिलीज़ (Anopheles) मच्छर के काटने से।

लक्षण: बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी।

  • चिकनगुनिया (Chikungunya)

फैलाव: एडीस एजिप्टी और एडीस एल्बोपिक्टस (Aedes albopictus) मच्छरों के काटने से।

लक्षण: तेज बुखार, जोड़ों में दर्द, त्वचा पर रशेस।

  • ज़ीका वायरस (Zika Virus)

फैलाव: एडीस मच्छर के काटने से।

लक्षण: हल्का बुखार, त्वचा पर रशेस, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, आँखों में लालिमा।

  • लाइम रोग (Lyme Disease)

फैलाव: काले पैर वाले टिक (Black-legged tick) के काटने से।

लक्षण: बुखार, सिरदर्द, थकान, त्वचा पर रशेस।

  • जापानी इंसेफेलाइटिस (Japanese Encephalitis)

फैलाव: क्यूलेक्स (Culex) मच्छरों के काटने से।

लक्षण: बुखार, सिरदर्द, उल्टी, मानसिक भ्रम, दौरे।

 

मानसून सीजन में वेक्टर- जनित बिमारियों

 

वेक्टर-जनित रोगों से बचाव के उपाय

बारिश के मौसम में जगह-जगह पानी भरने के कारण मच्छर तेजी से फैलने लगते हैं. जिसके कारण मलेरिया, चिकनगुनिया, डेंगू का खतरा काफी ज्यादा बढ़ता है. मच्छरों से बचने के लिए मार्केट में कई सारे प्रोडक्ट मिलते हैं जैसे- कॉइल, से लेकर लोशन और स्प्रे आदि। इसमें केमिकल होने के कारण कई सारे प्रोडक्ट एलर्जी की संभावना को बढ़ा देतें हैं। इन बीमारियों से बचाव के लिए नीचे कुछ सरल और प्रभावी उपाय दिए गए है जिसे फॉलो करके आप बीमार होने से बच सकते है:

 

1. साफ़-सफाई बनाए रखें

मच्छरों से बचने के लिए अपने घर को साफ और सुरक्षित रखें। अपने आसपास के क्षेत्र को साफ़ और सूखा रखने पर विशेष ध्यान दें। पानी जमा होने वाले स्थानों को नियमित रूप से साफ़ करें, जैसे गमले, टायर, और कूलर। क्योंकि, यह पानी डेंगू जैसे फैलाने वाले मच्छरों के लिए प्रजनन स्थल बन जाता है।

 

2. पानी की टंकी और कंटेनरों को ढक कर रखें

पानी की टंकियों और कंटेनरों को हमेशा ढक कर रखें ताकि मच्छर उनमें अंडे न दे सकें। खुली पानी की टंकी और कंटेनर मच्छरों के प्रजनन के लिए सबसे उपयुक्त स्थान होते हैं।

 

3. मच्छरदानी का उपयोग करें

रात में सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें। यह मच्छरों से बचने का सबसे सरल और प्रभावी तरीका है। यदि संभव हो तो, मच्छरदानी में कीटनाशक का भी छिड़काव करें।

 

मानसून सीजन में वेक्टर- जनित बिमारियों

 

4. कीट नाशक स्प्रे का उपयोग करें

मानसून के मौसम में मच्छरों से बचने के लिए कीट नाशक स्प्रे का उपयोग करना बहुत फायदेमंद हो सकता है। यह आपके घर में मच्छरों को फैलने से रोकने के सबसे तेज़ तरीकों में से एक है। स्प्रे का इस्तेमाल हमेशा कंटेनर पर दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार ही करना चाहिए। जिन लोगों को सांस लेने में समस्या है, उन्हें मच्छर भगाने वाले स्प्रे के संपर्क में नहीं आना चाहिए क्योंकि इसमें हानिकारक रसायन हो सकते हैं।

अपने घर और आसपास के क्षेत्र में कीटनाशक का नियमित छिड़काव करें। यह मच्छरों की संख्या को कम करने में मदद करेगा।

 

5. मच्छर भगाने वाले उपकरणों का उपयोग

अन्य तरीकों के अलावा, मच्छर भगाने वाले उपकरण जैसे इलेक्ट्रॉनिक मच्छरदानी और लाइट ट्रैप का उपयोग करें। कोई भी व्यक्ति अपने घर के आस-पास मच्छरों को मारने के लिए इलेक्ट्रिक इन्सेक्ट ट्रैप लगा सकता है। इस जाल में हाई-वोल्टेज ग्रिड होता है जो मच्छरों को आकर्षित करता है और उन्हें बिजली से मार देता है।

 

6. पूरी बाजू के कपड़े पहनें

पूरी बाजू के कपड़े पहनें ताकि आपके शरीर का अधिकांश हिस्सा ढका रहे और मच्छरों के काटने से बचा जा सके। खासकर शाम और रात के समय पूरी बाजू के कपड़े पहनना बहुत जरुरी है।

 

7. नियमित स्वास्थ्य जांच

नियमित रूप से स्वास्थ्य की जांच करवाएं। मच्छरों से बचने के लिए हमेशा सतर्क रहें। यदि आपको किसी प्रकार की बीमारी के लक्षण महसूस होते हैं, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। इससे किसी भी बीमारी का समय पर पता चल सकता है और सही उपचार हो सकता है। किसी भी तरह की लापहरवाई आपको मौत के मुँह में धकेल सकती है।

 

 

vector borne diseases in India

 

8. पौधों का उपयोग

कुछ लोगों के लिए रासायनिक आधारित या सिंथेटिक मच्छर भगाने वाले पौधे खतरनाक हो सकते हैं। लगभग सभी घरों में मच्छरों के विरुद्ध यह उपाय किया जाता है, जिसमें प्राकृतिक तरीके से मच्छरों को भगाने के लिए सिट्रोनेला, लेमन बाम, मैरीगोल्ड, तुलसी, लैवेंडर, रोज़मेरी जैसे औषधीय पौधों का उपयोग किया जाता हैं।

मच्छरों से छुटकारा पाने के लिए त्वचा पर पत्तियों को कुचलकर रगड़ने से जल्दी आराम मिल सकता हैं। जिन लोगों की त्वचा संवेदनशील है, उन्हें इन पौधों का उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

 

निष्कर्ष

मानसून सीजन में वेक्टर-जनित बिमारियों से बचना संभव है, यदि हम सावधानीपूर्वक उपरोक्त सभी उपाय को अपनाएं। स्वच्छता, जल जमाव का प्रबंधन, मच्छरों से बचाव और समय रहते स्वास्थ्य सेवा लेना इन उपायों में से कुछ हैं, जो हमें इन बिमारियों से बचाव में मददगार साबित हो सकते हैं। इन उपायों को अपनाकर हम न केवल अपने स्वास्थ्य को सुरक्षित रख सकते हैं, बल्कि अपने परिवार और समुदाय के स्वास्थ्य को भी बचा सकते हैं। इसलिए, इस मानसून में अपने और अपने आस-पास के लोगों की सुरक्षा और स्वास्थ्य का ध्यान रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।

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