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उम्र सिर्फ एक अंक है: बंदिश नहीं!

उम्र सिर्फ एक अंक है

सफलता की कोई सीमा नहीं होती

Posted
Jul 10, 2024

उम्र सिर्फ एक नंबर है जो बताता है कि व्यक्ति ने धरती पर कितना समय बिताया है। ये नंबर्स नहीं बताते कि आप कौन हैं, आपने क्या हासिल किया है, या आप अभी भी क्या कर सकते हैं। हर कोई किसी भी उम्र में कुछ भी हासिल कर सकता है, चाहे वो बूढ़ा हो या जवान।

 

आज की दुनिया में, उम्र का दबाव अक्सर लोगों को उसी तरीके से कार्य करने के लिए मजबूर कर देता है जो उनकी उम्र के अनुसार देखा जाता है। इससे व्यक्ति अत्यधिक आत्मसंवेदनशील और चिंतित हो जाते हैं, जो उनके जीवन दृष्टिकोण, आत्मसम्मान, और सामाजिक अवसरों को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।

 

उम्र के बारे में कई ग़लतफहमियाँ हैं, लेकिन हमें ऐसी ग़लतफहमियाँ से बाहर निकलकर अपने जीवन को सकारात्मक दृष्टिकोण में देखने की कोशिश करनी चाहिए। हमारी पाजिटिविटी ही हमें जीवन का आनंद लेने में मदद कर सकती है, जो हमारे आत्मसम्मान और सोच को मजबूत करने में हमारी सहायता करती है।

 

इस ब्लॉग में हम ऐसे ही 5 अद्भुत लोगो के जीवन के बारें में जानेंगे, जिन्होंने यह साबित कर दिखाया कि अगर आपके अंदर कुछ कर दिखने का जज्बा हो तो उम्र मायने नहीं करती।

 

Age is just a number

 

1. बोमन ईरानी

बोमन ईरानी एक प्रसिद्ध भारतीय फिल्म अभिनेता हैं। उनका जन्म 2 दिसंबर 1959 को मुंबई में हुआ था। उन्होंने मिथिबाई कॉलेज से पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई के बाद, उन्होंने ताज महल पैलेस होटल में वेटर और रूम सर्विस में काम किया। अपनी रुचियों को आगे बढ़ाते हुए, उन्होंने 1987 से 1989 तक फोटोग्राफी भी की।

बोमन ईरानी ने अपने करियर की शुरुआत फिल्मों में साउंड डिजाइनर के रूप में की थी, लेकिन उन्होंने अभिनय क्षेत्र में अपनी खूबियाँ दिखाईं और 42 साल की उम्र में 'मुन्ना भाई एम.बी.बी.एस.'(2003) फिल्म से अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की जिसमें उन्होंने कॉमेडी के जरिए अपनी अदा दिखाई। उन्होंने फिर '3 इडियट्स', 'लव ब्रेकअप जिंदगी' और 'पीके' जैसी फिल्मों में भी अपने अभिनय का जलवा दिखाया, जिनकी बदौलत उन्हें बॉलीवुड में एक प्रमुख अभिनेता के रूप में माना जाता है।

उनकी अदाकारी, उनका व्यक्तिगत शैली और अद्वितीय अंदाज उन्हें एक अनोखे स्थान पर रखते हैं। उन्होंने अपनी अदाकारी से केवल बॉलीवुड में बल्कि हॉलीवुड में भी अपनी पहचान बनाई है। बोमन ईरानी एक प्रेरणा स्रोत हैं, जिनका संघर्ष और कठोर मेहनत ने उन्हें अपने सपनों को पूरा करने में मदद की है।

 

बोमन ईरानी

 

2. जे.के. रोलिंग

जे.के. रोलिंग, जिनका पूरा नाम जोआन कैथलीन रोलिंग है, एक ब्रिटिश लेखिका हैं। उन्होंने हैरी पॉटर किताबें लिखी हैं, जो आज दुनियाभर में बहुत मशहूर हैं। उनका जन्म 31 जुलाई 1965 को इंग्लैंड में हुआ था। रोलिंग ने अपनी पहली हैरी पॉटर किताब 1997 में प्रकाशित की, जब उनकी उम्र 32 साल की थी और यह बहुत जल्दी दुनिया की बेस्टसेलर बन गई।

लेकिन उन्हें सफलता इतनी आसानी से नहीं मिली। रोलिंग को इस मुकाम तक पहुंचने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। वह एक अकेली माँ थीं, बेरोजगार थीं और डिप्रेशन से पीड़ित थीं। उनकी आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि उन्हें अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकारी मदद लेनी पड़ती थी। कई बार उनकी किताब को रिजेक्ट किया गया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और खुद पर विश्वास रखा।

 

जे.के. रोलिंग की किताबें आज दुनियाभर में बहुत प्रसिद्ध हैं और उन्होंने 500 मिलियन से अधिक प्रतियां बेची हैं, जिससे वह बहुत लोकप्रिय लेखकों में से एक बन गई हैं। जे.के. रोलिंग ने 25 साल की उम्र में हैरी पॉटर लिखना शुरू किया था। रोलिंग ने अपनी कहानियों से बच्चों और बड़ों के दिलों में खास जगह बनाई है।

 

जे.के. रोलिंग

 

3. गुलज़ार

गुलज़ार, जिनका असली नाम समर्थ जुगल पंडित है, भारतीय सिनेमा के एक प्रमुख व्यक्तित्व हैं। उनका जन्म 18 अगस्त 1934 को दिनानाथ पंडित नामक गांव में हुआ था। गुलज़ार को उनकी शायरी, गीतकारी, निर्देशन और अदाकारी के लिए जाना जाता है। उन्होंने अपने करियर में अनेक पुरस्कार और सम्मान प्राप्त किए हैं, जिसमें ओस्कर, ग्रेमी और नेशनल अवार्ड्स भी शामिल हैं।

गुलज़ार ने बॉलीवुड में अपनी शुरुआत शायरी करके की, और बाद में गीतकार और निर्देशक के रूप में अपनी पहचान बनाई। उनके गीतों की गहराई और भावनाओं का संयुक्त अनुभव सिनेमा को एक नई ऊचाई देता है। उन्होंने अपने अनूठे स्टाइल और अंदाज से बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाई है।

गुलज़ार का जीवन साबित करता है कि उम्र सिर्फ एक अंक है, जीवन में संघर्ष और सफलता का सफर हमेशा जारी रहता है। उनकी संगीत और शायरी में समाहित उत्कृष्टता ने उन्हें एक अनूठी पहचान दी है, जो आज भी उनके श्रोताओं के दिलों में बसी है।

गुलज़ार कहते हैं कि "मैं हर दिन परिपक्व होता जा रहा हूँ और मेरी उम्र इस बात का सबूत है। उम्र स्वयं एक मैचुरिटी की प्रक्रिया है, इसलिए आपके कार्य भी उम्र के साथ समझदार होते जाते हैं और मुझे यह समझदारी पसंद है।" (Hindustan times)

 

गुलज़ार

 

4. फौजा सिंह

फौजा सिंह एक ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने अपनी अद्वितीय उम्र में भी दुनिया को अपनी शक्ति से प्रेरित किया। उनका जन्म 1 अप्रैल 1911 को भारतीय पंजाब के गोंडल गांव में हुआ था। फौजा सिंह की जिन्दगी ने उन्हें विभिन्न पहलुओं में मान्यता दिलाई है। उनकी उम्र अब 104 हो चुकी है, लेकिन दौड़ना नहीं छोड़ा।

फौजा सिंह ने अपनी करियर की शुरुआत 1999 में जब उनकी उम्र 88 वर्ष थी, फौजा सिंह ने कैंसर के मरीज़ों के लिए पहली बार 20 किलोमीटर की मैराथन दौड़ी। 93 साल की उम्र में, फौजा सिंह ने 6 घंटे और 54 मिनट में मैराथन पूरी की, जो 90 साल से अधिक आयु वालों के लिए दुनिया की सर्वश्रेष्ठ से 58 मिनट कम समय में है। 

13 नवंबर 2003 को, फौजा सिंह को नेशनल एथनिक कोएलिशन द्वारा एलिस आइलैंड मेडल ऑफ़ ऑनर से सम्मानित किया गया, जो एक अमेरिकी संगठन है जो जातिगत गर्व और सहिष्णुता की प्रोत्साहन करता है। इसके बाद उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय माराथन खेले और अनेक पदक जीते।

फौजा सिंह ने दुनिया को यह सिखाया कि संघर्ष और प्रेरणा से आप किसी भी उम्र में अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं।

 

फौजा सिंह

 

कर्नल सांडर्स

बहुत से लोग सोचते हैं कि किसी चीज़ को बनाने के लिए जवानी से ही मेहनत करनी चाहिए, लेकिन इस मिथ को कोलोनल हरलैंड सैंडर्स ने तोड़ दिया। सैंडर्स ने जब वे 62 साल के थे, तब KFC कंपनी की स्थापना की थी।

कर्नल सैंडर्स, जिनका पूरा नाम हारलैंड डेविड सैंडर्स था,उनका का जन्म 9 सितंबर 1890 को अमेरिका के इंडियाना राज्य में हुआ था।  कर्नल सैंडर्स ने कई काम किए, जैसे कि रेलवे पर काम करना, फेरी चलाना और बीमा बेचना। लेकिन उन्हें सफलता तब मिली जब उन्होंने केंटकी में एक छोटे से रेस्टोरेंट में फ्राइड चिकन बनाना शुरू किया। उनके खास तरीके से बने फ्राइड चिकन को लोग बहुत पसंद करने लगे।

1930 में, उन्होंने अपने रेस्टोरेंट का नाम "केंटकी फ्राइड चिकन" (KFC) रखा। उनका चिकन बनाने का तरीका इतना मशहूर हुआ कि लोग दूर-दूर से उनके रेस्टोरेंट में आने लगे।

1964 में, उन्होंने KFC की फ्रेंचाइजी बेच दी, लेकिन कंपनी के ब्रांड एंबेसडर बने रहे। वे अपने सफेद सूट और काले बूट्स के कारण बहुत पहचाने जाने लगे।

कर्नल सैंडर्स का निधन 16 दिसंबर 1980 को हुआ, लेकिन उनकी बनाई हुई कंपनी KFC आज भी दुनिया भर में मशहूर है और उनके चिकन का स्वाद लोग आज भी पसंद करते हैं।

 

कोलोनल हरलैंड सैंडर्स

 

निष्कर्ष

जब सफलता प्राप्त करने की बात आती है तो उम्र तो सिर्फ एक अंक है। बोमन ईरानी, ​​जैक मा, जे.के. राउलिंग, गुलज़ार, फ़ौजा सिंह, कर्नल सैंडर्स और नीना गुप्ता की कहानियाँ शक्तिशाली अनुस्मारक के रूप में काम करती हैं कि अपने सपनों को पूरा करने के लिए कभी भी देर नहीं होती। चाहे आप 25 वर्ष के हों या 65, सफलता की संभावना तब तक बनी रहती है जब तक आप दृढ़ रहने, सीखने और अनुकूलन करने के लिए तैयार रहते हैं।

 

अपनी अनूठी यात्रा को अपनाएँ, चुनौतियों का सामना करते रहें और जुनून को अपना मार्गदर्शक बनाएँ। याद रखें, उम्र कैलेंडर पर सिर्फ़ एक संख्या है। आप अपनी सफलता की कहानी खुद लिखने की शक्ति रखते हैं, एक बार में एक अध्याय। चाहे आप 20 वर्ष के हों या 80 वर्ष के, महानता प्राप्त करने की आपकी क्षमता असीम है। सफलता की कोई समाप्ति तिथि नहीं होती - यह आपके द्वारा इसे प्राप्त करने का इंतज़ार कर रही है, जब भी आप तैयार हों। इसलिए, गहरी साँस लें, अपनी क्षमता को उजागर करें और अपने सपनों का पीछा करें - किसी भी उम्र में। आप यह कर सकते हैं!

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