सतत विकास (sustainable development) आज के समय में एक महत्वपूर्ण विषय है, जो पर्यावरण, समाज और अर्थव्यवस्था के बीच संतुलन बनाने का प्रयास करता है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग इस तरह किया जाता है, कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी ये उपलब्ध रहें। इस ब्लॉग में हम सतत विकास क्या है? और इसके 17 लक्ष्यों के बारें में विस्तार से चर्चा करेंगे।
सतत विकास क्या है?
सतत विकास का अर्थ है ऐसा विकास जो वर्तमान की जरूरतों को पूरा करते हुए भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकताओं को भी ध्यान में रखे। सतत विकास का मुख्य उद्देश्य है पर्यावरण, समाज और अर्थव्यवस्था के बीच संतुलन बनाना ताकि हम और आने वाली पीढ़ियाँ एक स्वस्थ, सुरक्षित और समृद्ध जीवन जी सकें।
सतत विकास के उद्देश्य
सतत विकास का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य है हमारी आर्थिक, पर्यावरणीय, और सामाजिक जरूरतों का संतुलन बनाना। इसका अर्थ है कि हमें अपनी समृद्धि को बढ़ाने के लिए प्राकृतिक संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करना है, लेकिन ऐसा करते समय आने वाली पीढ़ियों की आवश्यकताओं को पूरा करने की क्षमता पर कोई असर नहीं पड़ना चाहिए। इस प्रकार का विकास वर्तमान की जरूरतों को पूरा करता है और भविष्य के लिए एक सुरक्षित और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करता है।
इतिहास
सतत विकास के 17 लक्ष्य
संयुक्त राष्ट्र ने 17 सतत विकास लक्ष्यों को निर्धारित किया है। जो नीचे विस्तार से समझाएं गए है:
सतत विकास लक्ष्यों में पहला लक्ष्य 2030 तक सभी जगह गरीबी को खत्म करना है। गरीबी एक बड़ी समस्या है और इस लक्ष्य का मकसद ऐसी नीतियां बनाना है जो लोगों की आय बढ़ाएं, बुनियादी सेवाएं उपलब्ध कराएं और सामाजिक सुरक्षा दें।
भारत में सतत विकास लक्ष्य गरीबी को कम करने के लिए कई योजनाएं और कार्यक्रम चला रहा है। इनका उद्देश्य गरीब लोगों की मदद करना और उन्हें गरीबी से बाहर निकालना है।
दूसरे SDGs का लक्ष्य भुखमरी ख़त्म करना, खाद्य सुरक्षा हासिल करना और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देना है। जीरो हंगर में कृषि उत्पादकता बढ़ाना, खाद्य प्रणालियों को मजबूत बनाना और सभी के लिए पौष्टिक और पर्याप्त भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करना शामिल है।
भारत इस लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, खासकर खाद्य सुरक्षा और कृषि स्थिरता में सुधार के लिए नीतियों और कार्यक्रमों को लागू कर रहा है। ।
तीसरा लक्ष्य है हर उम्र के सभी लोगों के लिए स्वस्थ जीवन सुनिश्चित करना और भलाई को बढ़ावा देना। इसके अंतर्गत स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच, रोगों की रोकथाम और उपचार, और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना शामिल है।
चौथा लक्ष्य है, सबके लिए समावेशी और समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना और जीवनभर सीखने के अवसरों को बढ़ावा देना। इसमें हर बच्चे को स्कूल जाने का मौका देना और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना शामिल है।
पांचवा सतत विकास - लैंगिक समानता का लक्ष्य लैंगिक समानता हासिल करने और सभी महिलाओं और लड़कियों को सशक्त बनाने का प्रयास है। इसका उद्देश्य महिलाओं के खिलाफ भेदभाव, हिंसा और हानिकारक प्रथाओं को समाप्त करना है। साथ ही, यह महिलाओं की नेतृत्व की भूमिकाओं और निर्णय लेने में उनकी भागीदारी को बढ़ावा देने पर भी जोर देता है।
भारत में भी लैंगिक समानता की दिशा में कई नीतियों, कानूनों और जागरूकता अभियानों के माध्यम से काम किया जा रहा है। सरकार और समाज मिलकर महिलाओं को सशक्त बनाने और उन्हें समान अधिकार दिलाने की कोशिश कर रहे हैं।
6. स्वच्छ जल और स्वच्छता
छठे सतत विकास का लक्ष्य (SDG) सभी लोगों के लिए साफ पानी और स्वच्छता की उपलब्धता और स्थायी प्रबंधन सुनिश्चित करना है। इसमें पानी की गुणवत्ता में सुधार करना, पानी के उपयोग की दक्षता बढ़ाना और पानी से जुड़े पर्यावरण की रक्षा करना शामिल है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों में योगदान करते हुए, स्वच्छ पानी और स्वच्छता तक पहुंच में सुधार के लिए कई पहल की हैं।
7. सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा
सातवां लक्ष्य है, सभी के लिए सस्ती, विश्वसनीय, स्थायी और आधुनिक ऊर्जा की पहुँच सुनिश्चित करना। इसका उद्देश्य है नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना और ऊर्जा दक्षता में सुधार करना।
8. अच्छा काम और आर्थिक विकास
आठवां सतत विकास का लक्ष्य निरंतर, समावेशी और टिकाऊ आर्थिक विकास, पूर्ण और उत्पादक रोजगार और सभी के लिए अच्छे काम को बढ़ावा देने पर जोर देता है। इसका उद्देश्य श्रम बाजार की स्थितियों में सुधार करना, उद्यमशीलता को समर्थन देना और नवाचार को प्रोत्साहित करना है।
भारत ने भी आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, नई नौकरियाँ पैदा करने और श्रमिकों के अधिकारों को मजबूत करने के लिए कई नीतियाँ और कार्यक्रम लागू किए हैं। यह पहलें देश की आर्थिक प्रगति और सामाजिक कल्याण में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।
9. उद्योग, नवाचार और बुनियादी ढाँचा
नौवां SDGs का उद्देश्य मजबूत बुनियादी ढांचे का निर्माण, सबके लिए उद्योग को बढ़ावा देने और नए विचारों को प्रोत्साहित करने पर जोर देना है। इसमें सूचना और संचार तकनीक को सभी तक पहुँचाना, अनुसंधान और विकास का समर्थन करना और टिकाऊ उद्योग प्रथाओं को बढ़ावा देना शामिल है। भारत इस लक्ष्य को पाने के लिए बुनियादी ढांचे के विकास में निवेश कर रहा है और नए विचारों की संस्कृति को बढ़ावा दे रहा है।
10. असमानता कम करना
दसवें SDGs का मुख्य उद्देश्य देशों के भीतर और देशो के बीच असमानता को कम करना है, जिसे सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक समावेशन के माध्यम से बढ़ावा दिया जाए। इसका मकसद समान अवसर सुनिश्चित करना, भेदभावपूर्ण नीतियों को खत्म करना और वैश्विक स्तर पर विकास के लिए सहयोग बढ़ाना है। भारत विभिन्न नीतियों और कार्यक्रमों के माध्यम से आय असमानता को कम करने और सामाजिक समावेशन को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है।
11. टिकाऊ शहरी और सामुदायिक विकास
ग्यारहवां SDGs का लक्ष्य शहरों और मानव बस्तियों को समावेशी, सुरक्षित, लचीला और टिकाऊ बनाना है। इसमें किफायती आवास उपलब्ध कराना, शहरी नियोजन में सुधार करना और शहरों की स्थिरता बढ़ाना शामिल है।
12. जिम्मेदार उपभोग और उत्पादन
बारहवां लक्ष्य है सतत उपभोग और उत्पादन पैटर्न सुनिश्चित करना। इसका उद्देश्य है प्राकृतिक संसाधनों का कुशल उपयोग, कचरे में कमी और टिकाऊ उत्पादन प्रक्रियाओं को अपनाना।
13. जलवायु कार्रवाई
तेरहवां SDGs का उद्देश्य ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करना, जलवायु लचीलेपन को बढ़ाना, और जलवायु अनुकूलन की दिशा में पहल करना। भारत अंतर्राष्ट्रीय जलवायु सम्मेलन में सक्रिय है और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए घरेलू पहलों को लागू कर रहा है।
14. समुद्री जीवन का संरक्षण
चौदहवें SDGs का उद्देश्य सतत विकास के लिए महासागरों, समुद्रों और समुद्री संसाधनों का संरक्षण और निरंतर उपयोग करना है। इसमें समुद्री प्रदूषण को रोकना, समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करना और टिकाऊ मत्स्य पालन सुनिश्चित करना शामिल है।
भारत विभिन्न संरक्षण और टिकाऊ प्रबंधन प्रयासों के माध्यम से अपने समुद्री संसाधनों और पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा के लिए काम कर रहा है।
15. भूमि पर जीवन का संरक्षण
पंद्रहवां लक्ष्य है भूमि पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण, बहाली और सतत उपयोग सुनिश्चित करना। इसमें वनों का संरक्षण, जैव विविधता की सुरक्षा और भूमि क्षरण को रोकना शामिल है।
16. शांति और न्याय के लिए संस्थान
सोलहवां SDGs का उद्देश्य है कि वह शांतिपूर्ण और समावेशी समाजों को बढ़ावा दे, सभी लोगों के लिए न्याय तक पहुंच प्रदान करे, और प्रभावी, जवाबदेह और समावेशी संस्थान बनाए।
भारत अपने संस्थानों में कानून का शासन सुनिश्चित करने के लिए, भ्रष्टाचार को कम करने और पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाने के मार्ग पर काम कर रहा है।
17. लक्ष्य प्राप्त करने के लिए साझेदारी
सत्रहवाँ SDGs का मुख्य उद्देश्य है सतत विकास लक्ष्यों का समर्थन करना और उन्हें प्राप्त करने में वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देना है।
इसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना, सतत विकास निवेशों को बढ़ावा देना, और बहु-हितधारक भागीदारी को प्रोत्साहित करना है। भारत भी 17 सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग में सक्रिय रूप से शामिल है।
निष्कर्ष
सतत विकास लक्ष्यों का उद्देश्य एक बेहतर और सतत भविष्य का निर्माण करना है। ये लक्ष्य हमें एक समावेशी, सुरक्षित और समृद्ध समाज की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित करते हैं। प्रत्येक व्यक्ति, संस्था और सरकार की भूमिका महत्वपूर्ण है। हमें मिलकर इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रयास करना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियाँ एक स्वस्थ और खुशहाल दुनिया में जी सकें। सतत विकास की ओर बढ़ते हुए, हम सभी एक उज्ज्वल भविष्य की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।
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