क्या आपने कभी सोचा है कि भारतीय प्रवासी किस तरह से दुनिया के विभिन्न कोनों में अपनी पहचान बना रहे हैं? क्यों लाखों भारतीय हर साल अपने देश को छोड़कर विदेशों में बसने का फैसला करते हैं? ऐसा विदेशों में क्या है, जो भारतीय लोगो को अपनी ओर आकर्षित करता है?
प्रवासी शब्द ग्रीक भाषा से आया है, जिसका मतलब होता है "बिखरना" या "बीज बोना"। इसे उन लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है जो नौकरी, व्यापार या किसी अन्य कारण से अपने देश को छोड़कर दूसरे देशों में बस जाते हैं। भारतीय प्रवासी शब्द उन लोगों के लिए इस्तेमाल होता है जो भारत से बाहर गए हैं। इसमें NRI (गैर-निवासी भारतीय) और PIO (भारतीय मूल के व्यक्ति) शामिल हैं। भारतीय प्रवासी समुदाय का अनुमान 3 करोड़ से भी ज्यादा है। भारतीय सरकार प्रवासी भारतीयों के योगदान को मानती है क्योंकि उन्होंने भारत को आर्थिक, वित्तीय और वैश्विक स्तर पर लाभ पहुंचाया है।
इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि भारतीय क्यों दूसरे देशों में बसते हैं, इसका आर्थिक प्रभाव, NRI (गैर-निवासी भारतीय) द्वारा झेली जाने वाली कठिनाइयां, कुछ प्रसिद्ध भारतीय चेहरे आदि पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
भारतीयों के विदेश जाने के कारण
विदेश में पढ़ाई का एक और अच्छा पहलू कोर्स की लचीलापन (फ्लेक्सिबिलिटी) है। छात्र अपनी पसंद के हिसाब से कोई भी कोर्स चुन सकते हैं। वहाँ का पाठ्यक्रम उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ पार्ट-टाइम जॉब करने की भी सुविधा देता है।
मुख्य बिंदु
अमेरिका, ब्रिटेन, संयुक्त अरब अमीरात, श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका, सऊदी अरब, म्यांमार, मलेशिया, कुवैत और कनाडा।
भारत और गंतव्य दोनों देशो के लिए NRI का क्या महत्व है?
भारतीय प्रवासियों का महत्व सामाजिक-सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक आयामों में भारत और उनके गंतव्य देशों दोनों तक फैला हुआ है।
2. गंतव्य देशों के लिए प्रवासी भारतीयों का महत्व
कुछ प्रसिद्ध भारतीय/एनआरआई चेहरे
भारतीय प्रवासी केवल पैसे भेजने तक ही सीमित नहीं हैं। वे हर क्षेत्र में मौजूद हैं, चाहे वह व्यापार, उद्यमिता, वित्त या बैंकिंग हो। कई NRI ने विभिन्न उद्योगों में अपनी पहचान बनाई है, और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वे आज कई अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में प्रमुख भूमिकाओं में हैं।
उदाहरण के तौर पर, सत्य नडेला: माइक्रोसॉफ्ट और अल्फाबेट इंक के CEO: सुंदर पिचाई, इंदिरा नूयी: पेप्सिको की पूर्व CEO, कमला हैरिस: अमेरिका की उपराष्ट्रपति, भारतीय मूल की। ये सभी प्रसिद्ध नाम हैं, लेकिन इस सूची में और भी बहुत से लोग शामिल हैं।
NRI द्वारा सामना की जाने वाली कठिनाइयां
विदेश में रहना रोमांचक हो सकता है, लेकिन NRI को कई समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है।
सबसे पहली समस्या है भाषा की बाधा। कई NRI को नई भाषा सीखने में कठिनाई होती है, जिससे उनके काम और रोजमर्रा की ज़िन्दगी पर असर पड़ता है।
दूसरी बड़ी समस्या सांस्कृतिक अंतर है। भारतीय और पश्चिमी संस्कृतियों में काफी फर्क होता है। इससे कई लोगों को वहां की आदतों और मान्यताओं के साथ मेल बिठाने में परेशानी होती है। खाने-पीने, रहने-सहने और सामाजिक नियमों में फर्क उन्हें परेशान कर सकता है।
नस्लीय भेदभाव भी एक गंभीर समस्या है। कुछ देशों में NRI को अपनी त्वचा के रंग या धर्म के कारण भेदभाव का सामना करना पड़ता है, जो उनके काम और व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित कर सकता है।
परिवार से दूर रहना भी एक बड़ी चुनौती है। कई NRI अपने माता-पिता, भाई-बहनों और दोस्तों से दूर रहते हैं, जिससे वे भावनात्मक रूप से प्रभावित होते हैं।
अंत में, कानूनी समस्याएँ भी होती हैं। वीजा, काम के नियम, और नागरिकता के कानून समझना और पालन करना मुश्किल हो सकता है।
सरकार द्वारा उठाए गए कदम
सरकार ने विदेश में फंसे भारतीयों की समस्याओं को हल करने के लिए कई कदम उठाए हैं। "भारतीय मिशन" इस काम को प्राथमिकता पर करते हैं। शिकायतों का जवाब फोन, ईमेल, सोशल मीडिया, हेल्पलाइन और ओपन हाउस के माध्यम से दिया जाता है। अगर किसी समस्या को हल करने के लिए जरूरी हो, तो इसे नियोक्ता और स्थानीय सरकार के पास भेजा जाता है। यदि समस्या भारत की राज्य सरकार से जुड़ी हो, तो उसे उनके साथ सुलझाया जाता है।
दुबई, शारजाह, रियाद, जेद्दा और कुआलालंपुर में प्रवासी भारतीय सहायता केंद्र (PBSKs) खोले गए हैं, जो भारतीय श्रमिकों को मदद करते हैं। कुछ मिशनों में परेशान भारतीयों के लिए आश्रय घर भी बनाए गए हैं। विदेश में पढ़ रहे भारतीय छात्रों से मिशन नियमित संपर्क में रहते हैं। अगर जरूरत होती है, तो मिशन अधिकारी आव्रजन कार्यालयों और श्रम शिविरों का दौरा करके शिकायतें सुनते हैं। परेशान भारतीयों को वित्तीय सहायता भारतीय समुदाय कल्याण कोष (ICWF) से दी जाती है। संकट में फंसी भारतीय महिलाओं को कानूनी और वित्तीय सहायता भी दी जाती है।
आपातकाल या संकट की स्थिति में, हमारे मिशन विदेश में फंसे भारतीयों को भोजन, आश्रय, दवा और भारत लौटने में मदद करते हैं। कोरोना महामारी और रूस- यूक्रेन युद्ध के दौरान कई भारतीयों को विभिन्न अभियानों जैसे वंदे भारत मिशन, ऑपरेशन देवी शक्ति, ऑपरेशन गंगा और ऑपरेशन कावेरी के तहत दुनिया भर से वापस लाया गया था।
निष्कर्ष
भारत का प्रवासी समुदाय न केवल संख्या में बड़ा है, बल्कि अपने योगदान में भी महत्वपूर्ण है। वे न केवल भारत की अर्थव्यवस्था में योगदान देते हैं, बल्कि दुनिया भर में भारत की छवि को भी बढ़ाते हैं। NRI भारत और अपने नए देशों के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करते हैं, और वैश्विक समझ और सहयोग को भी बढ़ावा देते हैं। हालांकि उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन उनकी सफलता और उपलब्धियां प्रेरणादायक हैं।
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