संयुक्त भारत
संयुक्त भारत

सुरक्षित महिला -आज भी एक अधूरा सपना

भारत में महिला सुरक्षा

महिलाओं का सशक्तिकरण, सशक्त भारत

Posted
Aug 20, 2024

हाल ही में कोलकाता के RG कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 8-9 अगस्त, 2024 की रात को एक जूनियर डॉक्टर मौमिता के साथ बेहरमी से रेप किया गया और उसकी हत्या कर दी गई। इस घटना ने पुरे देश को हिला दिया | हमारे देश को अंग्रेजो से आज़ादी मिलें हुए 78 वर्ष हो चुके है पर फिर भी इस स्वतंत्रता दिवस पूरा देश सिर्फ एक ही मांग कर रहा था और वो है वूमेंस सेफ्टी (महिला सुरक्षा)| भारत ने कई सारी उपलब्धियां प्राप्त की है परन्तु , मानसिकता अभी भी वही के वही ही है। जब बात आती है महिला सुरक्षा की तो भारत देश अभी भी 19वीं सदी में चल रहा है। आए दिन महिलाओ के साथ कुरुरता बढ़ती ही जा रही है। कहीं बलत्कार तो कहीं दहेज़ हत्या, आज कल तो महिलाएं अपने घर में भी सुरक्षित नहीं है तो बाहर की तो खैर बात ही छोड़ दीजिए।

 

महिलाओं के खिलाफ अपराध

महिलाओं के खिलाफ अपराधों में बलात्कार, बेइज्जती, दहेज हत्या, छेड़छाड़, एसिड फेंकना, और अपहरण शामिल हैं।

जन्म के समय से ही या उससे पहले भी, एक लड़की अपराध का शिकार हो सकती है। एक कहावत है, "जन्म के समय पर उसके पिता, शादी के बाद उसके पति, और पति के मरने के बाद उसके बेटे द्वारा उसके जीवन को चलाया जाता है।"

 

भारत में महिला सुरक्षा

 

भारत के विभिन्न राज्यों में महिलाओं के खिलाफ दर्ज अपराधों की संख्या

कई मानसिक और पितृसत्तात्मक कारणों से महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ rahe हैं। 2022 में, हरियाणा में महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध हुए। हर 1,00,000 महिलाओं पर करीब 118 अपराध हुए। दिल्ली में, संघ शासित क्षेत्रों में महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर 144 थी।

2022 में, हर 100 हजार में से 66 से ज्यादा महिलाएं भारत में किसी किसी अपराध का शिकार हुईं। पिछले साल के मुकाबले अपराध दर में बढ़ोतरी देखी गई।

भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 2022 में 4% की बढ़ोतरी हुई है, जो राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2022 की रिपोर्ट में बताया गया है। इसमें पति और रिश्तेदारों द्वारा की गई हिंसा, अपहरण, हमले और बलात्कार के मामले शामिल हैं।

NCRB रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 3,71,503 मामले दर्ज किए गए थे, जो 2022 में बढ़कर 4,45,256 हो गए। 2021 के 4,28,278 मामलों की तुलना में 2022 में इन अपराधों में और बढ़ोतरी हुई है।

रिपोर्ट में बताया गया कि भारतीय कानून के तहत महिलाओं के खिलाफ अपराधों में बड़ी संख्या में 'पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा अत्याचार' (31.4%), 'महिलाओं का अपहरण' (19.2%), 'महिलाओं पर हमला' (18.7%), और 'बलात्कार' (7.1%) शामिल हैं। प्रति लाख महिलाओं पर अपराध दर 2021 में 64.5 से बढ़कर 2022 में 66.4 हो गई।

इसके अलावा, देश में दहेज निषेध कानून के तहत 13,479 मामले दर्ज हुए, और 'पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा अत्याचार' (धारा 498 A IPC) के तहत 1,40,000 से ज्यादा मामले दर्ज हुए थे।

36 राज्यों, संघ शासित क्षेत्रों और केंद्रीय एजेंसियों से मिले डेटा पर आधारित, 'भारत में अपराध 2022' रिपोर्ट, कानून बनाने वालों, सरकारों और नीतियों पर काम करने वालों के लिए जरूरी जानकारी देती है।

रिपोर्ट में पता चला है कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों के साथ-साथ बच्चों, बुजुर्गों, अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के खिलाफ अपराधों में क्रमशः 8.7%, 9.3%, 13.1%, और 14.3% की बढ़ोतरी हुई है। आर्थिक अपराधों में 11.1%, भ्रष्टाचार में 10.5%, और साइबर अपराधों में 2022 में 24.4% की वृद्धि हुई है।

बड़े शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, और बेंगलुरु में भी चिंता की बातें सामने आई हैं। दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ 14,158 मामले दर्ज हुए, मुंबई में 6,176 मामले दर्ज हुए और चार्जशीट की दर 80.6% रही, जबकि बेंगलुरु में 3,924 मामले दर्ज हुए और चार्जशीट की दर 74.2% रही।

उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के सबसे ज्यादा 65,743 मामले दर्ज किए गए, जबकि महाराष्ट्र में 45,331 और राजस्थान में 45,058 मामले रिपोर्ट किए गए थे। इन मामलों की चार्जशीट की दरें अलग-अलग हैं। (Newsclick Report | 05 Dec 2023)

 

भारत में महिला सुरक्षा

 

भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराध के प्रमुख कारण

लिंग भेदभाव

इन सभी अपराधों की जड़ लिंग भेदभाव में है। महिलाओं को पुरुषों से कम समझा जाता है। बचपन से ही महिलाओं की तुलना पुरुषों से की जाती है और उन्हें कई मामलों में सीमित किया जाता हैजैसे कि शिक्षा, बाहर जाने की स्वतंत्रता, फैसले लेने की स्वतंत्रता, और जीवन साथी चुनने की स्वतंत्रता। पुरुष अपनी इच्छाओं को महिलाओं पर थोपते हैं। इस सोच से पुरुषों को महिलाओं के खिलाफ अपराध करने की आज़ादी मिलती है और वे उन्हें अपनी इच्छा से व्यवहार कर सकते हैं।

Aaj bhi kai gharon mein बच्चों को ऐसे माहौल में बड़ा किया जाता है, जहां उन्हें सिखाया जाता है कि महिलाएं कमजोर और निर्भर होती हैं और केवल घर के काम के लिए ही होती हैं। इससे लड़कों को अपनी श्रेष्ठता की भावना मिलती है और वे सोचते हैं कि महिलाएं उनकी तुलना में कम हैं और उन पर पूरा कंट्रोल रखते हैं। यही सोच अपराधों को जन्म देती है।

 

भारत में महिला सुरक्षा

कानूनों का सही तरीके से लागू होना

हालांकि महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों से निपटने के लिए कई कानून हैं, लेकिन फिर भी इन अपराधों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है और अपराध की मात्रा लगातार बढ़ रही है। कानूनों के सही तरीके से लागू होने की कमी इन अपराधों के लिए एक मुख्य कारण है।

 

कानूनी जानकारी की कमी

लोगों को उनके अधिकारों, कानूनों और नियमों के बारे में जानकारी नहीं होती। अगर लोगों को कानूनी ज्ञान होता, तो ये अपराध इतनी ऊंचाई पर नहीं पहुंचते। उदाहरण के लिए, अगर पीड़िता कानूनों से परिचित होती, तो वह सही अधिकारियों से संपर्क करके अपने अधिकार प्राप्त करने और अपराधी को सजा दिलवाने के लिए सभी संभव प्रयास करती।

यहाँ हम आपको भारत में लागू कुछ कानून बताना चाहेंगे जो महिला अपराध की स्तिथि में इस्तेमाल किये जा सकते है

  • राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, 1990 (NCW)
  • महिलाओं के कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 (POSH Act)
  • महिलाओं की घरेलू हिंसा से सुरक्षा कानून, 2005
  • दहेज निषेध अधिनियम, 1961

 

भारत में महिला सुरक्षा

 

मीडिया और टीवी

मीडिया और टीवी पर महिलाओं को सिर्फ आकर्षण और हवस की चीज के रूप में दिखाया जा रहा है। इससे पुरुषों को लगता है कि महिलाओं को सिर्फ आनंद के लिए देखा जाता है। टीवी और मीडिया पर पीछा करना, शराब पीना जैसी बुरी चीजों को सामान्य बना दिया गया है, जो लोगों के दिमाग पर बुरा असर डालता है और अगली पीढ़ी को भी प्रभावित करता है।

 

जागरूकता की कमी

बहुत से लोग इन अपराधों और उनकी सजा के बारे में नहीं जानते। कई पीड़ित समाज की बदनामी और अपराधियों की धमकी के डर से शिकायत नहीं करते। इससे अपराधी बार-बार अपराध कर पाते हैं और अपराध बढ़ते जाते हैं। लोग इन अपराधों के बारे में अनजान हैं क्योंकि इन्हें सामान्य बना दिया गया है और लोग इसके आदी हो गए हैं।

 

भारत में महिला सुरक्षा

 

यौन शिक्षा की कमी

भारत में यौन या यौन-संबंधित विषयों पर सार्वजनिक चर्चा को आमतौर पर टैबू माना जाता है। इससे हमारे युवाओं को सही और प्रभावी यौन शिक्षा देने में मुश्किल होती है।

स्कूल और कॉलेज में यौन शिक्षा को लेकर समाज के हर वर्ग, जैसे माता-पिता, शिक्षक और नेता, से विरोध हो रहा है। कुछ राज्यों जैसे महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, और कर्नाटका में इसे बंद कर दिया गया है। इन राज्यों के नेताओं का कहना है कि इससे युवाओं की सोच बिगड़ सकती है और भारतीय मूल्यों को खतरा हो सकता है, जिससे गलत व्यवहार बढ़ सकता है। कुछ लोग मानते हैं कि भारत जैसे सांस्कृतिक देश में यौन शिक्षा की जरूरत नहीं है।

 

पीड़ितों को कलंकित समझना

जब पीड़ित अपराध की रिपोर्ट करते हैं, तो उन्हें समाज में बुरा माना जाता है। इस बुरे नजरिए के कारण वे केस रिपोर्ट करने या अपनी आवाज उठाने से डरते हैं। इससे अपराधियों को अपराध करने की और छूट मिलती है, और महिलाओं की परेशानी बढ़ती जाती है।

 

महिलाओं की आर्थिक अस्थिरता

महिलाएँ कई वजहों से पुरुषों पर आर्थिक रूप से निर्भर रहती हैं। उन्हें शिक्षा और नौकरी में स्वतंत्रता नहीं मिलती। एक ही काम के लिए पुरुषों की तुलना में महिलाओं को कम वेतन मिलता है। इस निर्भरता के कारण पुरुष खुद को श्रेष्ठ समझते हैं और महिलाओं को कमजोर मानते हैं, जिससे वे महिलाओं के खिलाफ अपराध करते हैं।

 

निर्भया गैंग रेप केस

निर्भया गैंग रेप केस की दर्दनाक घटना 16 दिसंबर 2012 को हुई। एक लड़की और उसका दोस्त फिल्म देखकर लौट रहे थे, वे एक चार्टर्ड बस में चढ़े। बस में पहले से 6 लोग थे। बस ने गलत दिशा ली और दरवाजे बंद कर दिए। शराबी लोगों ने पीड़िता के साथ दुर्व्यवहार किया। उसके दोस्त को पीटा गया। पीड़िता के साथ एक घंटे तक सामूहिक बलात्कार हुआ और उसे बुरी तरह घायल किया गया। बाद में दोनों को सड़क पर फेंक दिया गया।

राहगीरों ने उन्हें सड़क पर खून से लथपथ देखा और पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने पीड़िता को सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया, जहाँ डॉक्टरों ने पाया कि उसके शरीर में केवल 5% आंतें बची थीं। पीड़िता 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के अस्पताल में मौत हो गई। उसकी मौत का कारण सेप्सिस और कई अंगों का फेल होना था।

पूरे देश में महिलाओं के साथ हो रहे बुरे बर्ताव को लेकर विरोध-प्रदर्शन हुआ, लोगो ने आरोपियों को फांसी की सज़ा देने की मांग की।

 

भारत में महिला सुरक्षा

कोलकाता डॉक्टर रेप- मर्डर केस

निर्भया बलात्कार केस के 12 साल बाद 2024 mein इतिहास दोहराया गया कोलकाता के लालबाजार में स्थित RG कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 8-9 अगस्त, 2024 की रात को एक जूनियर डॉक्टर के साथ बेहरमी से रेप किया गया और उसकी हत्या कर दी गई। मृतक महिला मेडिकल कॉलेज में चेस्ट मेडिसिन विभाग की दूसरी वर्ष की छात्रा और प्रशिक्षु डॉक्टर थीं। 8 अगस्त को जूनियर डॉक्टर अस्पताल में रात की ड्यूटी कर रही थीं। रात 12 बजे के बाद उन्होंने दोस्तों के साथ खाना भी खाया। इसके बाद से महिला डॉक्टर का कुछ पता नहीं चला।

9 अगस्त की सुबह मेडिकल कॉलेज की चौथी मंजिल पर बने सेमिनार हॉल में डॉक्टर का अर्धनग्न शव मिला। शव के पास उनका मोबाइल और लैपटॉप भी मिला। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में रेप की पुष्टि हुई। शव गद्दे पर पड़ा था, और गद्दे पर खून के धब्बे थे। डॉक्टर के मुंह और आंखों से खून बह रहा था। प्राइवेट पार्ट्स पर खून के निशान और चेहरे पर नाखून के निशान मिले। होंठ, गर्दन, पेट और दाहिने हाथ की अंगुली पर चोट के निशान थे। हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने परिवार को आत्महत्या की सूचना दी। जब परिवार घटनास्थल पर पहुंचा, तो डॉक्टर के पिता ने रेप के बाद हत्या का आरोप लगाया। इसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया। पश्चिम बंगाल और पूरे देश में डॉक्टरों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई के लिए भेजने और दोषियों को मौत की सजा दिलाने की बात कही। SIT ने रात को अस्पताल में तैनात एक सिविक वालंटियर संजय रॉय को गिरफ्तार किया। आरोपी ब्लूटूथ हेडफोन के टूटे तार से पकड़ा गया, जो पुलिस को सेमिनार रूम में मिला था।

पूरे देश के डॉक्टर हड़ताल पर हैं और कोलकाता समेत कई जगहों पर प्रदर्शन हो रहे हैं। कोलकाता हाईकोर्ट के आदेश पर CBI ने मामले की जांच शुरू कर दी है। इस घटना को लेकर राजनीति भी तेज हो गई है।

अब इस केस में यह देखना है कि क्या मौमिता को इंसाफ मिलेगा या फिर से एक बार अपराधी छूट जाएंगे?

 

भारत में महिला सुरक्षा

 

निष्कर्ष

इस देश में महिलाओं की सुरक्षा एक बहुत बड़ी चिंता का विषय है और इसे जितना हो सके बात करनी चाहिए। महिला ताकतवर है, इस देश में उसकी पूजा की जाती है। वह माँ है, बहन है, दादी है, पत्नी है। वह कई भूमिकाएँ निभाती है, लेकिन फिर भी सुरक्षित नहीं है। उन्हें हमेशा डर और चिंता में जीना पड़ता है। रात के समय पास की दुकान तक जाने में भी उन्हें डर लगता है।

भारत महिलाओं के लिए सुरक्षित देश नहीं है। इस देश में जंहा महिला को देवी दुर्गा, लक्ष्मी और काली के रूप में पूजा जाता है, उन्हीं देवियों के साथ रेप, दहेज़ हत्या जैसे घिनौने अपराध किए जाते है। हर उम्र की महिलाएं आज किसी किसी अपराध का शिकार हो रही हैं। यह चिंता की बात है कि हम इस समस्या को नजरअंदाज करते जा रहे हैं। अगर हम इसी तरह से अनदेखा करते रहे, तो यह समस्या और बढ़ती जाएगी। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे देश में महिलाओं की सुरक्षा हमेशा चर्चा का विषय बना रहे। जब हम सुनिश्चित करेंगे कि महिलाओं की रोजमर्रा की गतिविधियाँ सुरक्षित होंगी, तभी हम खुद को एक सफल देश कह सकेंगे।

सामाजिक कारण में और पढ़ें

संयुक्त भारत