मानसिक स्वास्थ्य वह स्थिति है जिसमें हमारा दिमाग स्वस्थ रहता है, जिससे हम जीवन की परेशानियों का सामना कर सकते हैं, अपनी क्षमताओं को पहचान सकते हैं, अच्छे से सीख सकते हैं और काम कर सकते हैं, और समाज में अपना योगदान दे सकते हैं। यह हमारे जीवन का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है।
कई चीज़ें हमारे मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं। इनमें हमारी निजी ज़िंदगी, परिवार, समाज और हमारे आसपास के हालात शामिल हैं। हालाँकि ज्यादातर लोग मुश्किल हालात में भी मानसिक रूप से मजबूत रहते हैं, लेकिन जो लोग गरीबी, हिंसा, विकलांगता और असमानता जैसी समस्याओं का सामना करते हैं, उनमें मानसिक समस्याएं होने का खतरा ज्यादा होता है।
कई मानसिक बीमारियों का इलाज कम खर्च में किया जा सकता है, फिर भी स्वास्थ्य सेवाओं में संसाधनों की कमी रहती है और इलाज की सुविधा हर जगह नहीं मिल पाती। मानसिक स्वास्थ्य की सेवाएं भी अक्सर अच्छी गुणवत्ता की नहीं होतीं। मानसिक बीमारियों से जूझ रहे लोगों को अक्सर समाज में भेदभाव, तिरस्कार और मानवाधिकारों का उल्लंघन झेलना पड़ता है।
मानसिक स्वास्थ्य क्या है?
मानसिक स्वास्थ्य हमारे भावनात्मक, मानसिक, और सामाजिक कल्याण को शामिल करता है। यह इस बात को प्रभावित करता है कि हम जीवन की चुनौतियों का सामना कैसे करते हैं, कैसे सोचते हैं, महसूस करते हैं, और व्यवहार करते हैं। यह भी तय करता है कि हम तनाव को कैसे संभालते हैं, दूसरों से कैसे जुड़ते हैं, और फैसले कैसे लेते हैं। बचपन से लेकर बुढ़ापे तक, हर उम्र में मानसिक स्वास्थ्य बहुत जरूरी है।
मेन्टल हेल्थ समस्याओं में मानसिक बीमारियां और प्स्य्चोसोसिएल परेशानियां शामिल होती हैं, जो व्यक्ति को गहरे दुख, काम करने में दिक्कतें या आत्म-नुकसान का खतरा बढ़ाती हैं।
2019 में, दुनिया भर में 970 मिलियन लोग मानसिक बीमारियों से जूझ रहे थे, जिनमें सबसे आम बीमारी (एंग्जायटी) और अवसाद (डिप्रेशन) थे।
2020 में, COVID-19 महामारी की वजह से डिप्रेशन और एंग्जायटी से पीड़ित लोगों की संख्या बहुत बढ़ गई। पहले के आंकड़ों के अनुसार, सिर्फ एक साल में एंग्जायटी के मामलों में 26% और डिप्रेशन के मामलों में 28% की बढ़ोतरी हुई। (WHO report)
मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं जीवन के हर हिस्से को प्रभावित कर सकती हैं, जैसे परिवार, दोस्तों और समाज के साथ संबंध। ये समस्याएं स्कूल और कामकाज में भी मुश्किलें ला सकती हैं या इन्हीं से उत्पन्न हो सकती हैं।
दुनिया में मानसिक बीमारियों के कारण लोगों के जीवन के 6 में से 1 साल विकलांगता के साथ बीतते हैं। गंभीर मानसिक बीमारियों से पीड़ित लोग सामान्य लोगों की तुलना में 10 से 20 साल पहले मर जाते हैं। मानसिक बीमारियों से आत्महत्या और मानव अधिकारों के उल्लंघन का खतरा भी बढ़ जाता है।
मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के आर्थिक परिणाम भी बहुत बड़े होते हैं, क्योंकि उत्पादकता में कमी की वजह से खर्च बहुत ज्यादा होता है।
मानसिक स्वास्थ्य संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए क्यों जरूरी है?
मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य, दोनों ही हमारे पूरे स्वास्थ्य के महत्वपूर्ण हिस्से हैं। जैसे, डिप्रेशन से शारीरिक बीमारियों का खतरा बढ़ता है, खासकर डायबिटीज, दिल की बीमारी, और स्ट्रोक जैसी लंबी बीमारियों का। वैसे ही, लंबे समय तक चलने वाली बीमारियों से मानसिक रोग होने का खतरा भी बढ़ सकता है।
मानसिक बीमारी क्यों होती है?
मानसिक बीमारी का कोई एक कारण नहीं होता। कई कारक इसका कारण बन सकती हैं, जैसे:
लक्षण
मानसिक बीमारी के लक्षण कई प्रकार के हो सकते हैं, जो रोग, परिस्थितियों और अन्य कारणों पर निर्भर करते हैं। मानसिक बीमारी के लक्षण भावनाओं, सोच और व्यवहार को प्रभावित कर सकते हैं। इसके कुछ सामान्य लक्षण और संकेत निम्नलिखित हैं:
कभी-कभी मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं शारीरिक दर्द के रूप में भी नजर आ सकती हैं, जैसे पेट दर्द, पीठ दर्द, सिरदर्द या अन्य दर्द और तकलीफ।
एंग्जायटी
2019 में, 301 मिलियन लोग एंग्जायटी से ग्रस्त थे, जिनमें 58 मिलियन बच्चे और किशोर भी शामिल थे। एंग्जायटी में व्यक्ति को बहुत ज्यादा डर और चिंता होती है, जो उनके व्यवहार को भी प्रभावित करती है। इसके लक्षण इतने गंभीर हो सकते हैं कि व्यक्ति को बहुत परेशानी या कामकाज में दिक्कत होती है।
चिंता विकारों के कई प्रकार होते हैं, जैसे:
इन डिसऑर्डर्स का इलाज मनोवैज्ञानिक तरीके से किया जा सकता है, और उम्र और स्थिति के अनुसार दवाइयाँ भी दी जा सकती हैं।
डिप्रेशन
2019 में, 280 मिलियन लोग डिप्रेशन से पीड़ित थे, जिनमें 23 मिलियन बच्चे और किशोर भी शामिल थे। डिप्रेशन आम मूड बदलावों और रोजमर्रा की समस्याओं से अलग होता है। जब किसी को डिप्रेशन होता है, तो उसे हर दिन, लंबे समय तक, उदासी, चिड़चिड़ापन या खालीपन महसूस होता है, और उसे पसंदीदा कामों में भी रुचि नहीं रहती।
डिप्रेशन में कई और लक्षण भी हो सकते हैं, जैसे कि ध्यान केंद्रित करने में मुश्किल, अत्यधिक गिल्टी महसूस करना, आत्म-संवेदना की कमी, भविष्य को लेकर निराशा, आत्महत्या के विचार, नींद की समस्या, भूख या वजन में बदलाव, और बहुत थकावट या ऊर्जा की कमी। डिप्रेशन से पीड़ित लोगों को आत्महत्या का खतरा अधिक होता है। हालांकि, इसका इलाज संभव है और उम्र और गंभीरता के आधार पर दवा का भी इलाज किया जा सकता है।
बाइपोलर डिसऑर्डर
2019 में, 40 मिलियन लोगों को बाइपोलर डिसऑर्डर का अनुभव किया। इस बीमारी में लोग कभी बहुत उदास हो जाते हैं और कभी बहुत खुश और सक्रिय हो जाते हैं।
जब व्यक्ति उदास होता है, तो उसे निराशा, दुख, या खालीपन महसूस होता है और रोजमर्रा की गतिविधियों में दिलचस्पी कम हो जाती है। दूसरी ओर, जब वह उन्माद में होता है, तो उसे बहुत खुशी, चिड़चिड़ापन, और अधिक ऊर्जा महसूस होती है। इसके साथ ही, वह बहुत बातूनी हो सकता है, उसके विचार तेजी से दौड़ सकते हैं, वह कम सो सकता है, और उसका व्यवहार लापरवाह हो सकता है।
बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों को आत्महत्या का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन इस बीमारी के इलाज के लिए कुछ असरदार तरीके हैं, जैसे कि मानसिक शिक्षा, तनाव कम करना, सामाजिक जीवन को सुधारना, और दवाइयाँ।
पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD)
PTSD और अन्य मानसिक समस्याएं उन जगहों पर अधिक होती हैं जहां संघर्ष होता है। PTSD तब होता है जब कोई व्यक्ति बहुत खतरनाक या डरावनी घटना का सामना करता है। इसके लक्षण होते हैं:
ये लक्षण कई हफ्तों तक रहते हैं और रोजमर्रा की जिंदगी में मुश्किलें पैदा करते हैं। लेकिन इसके इलाज के लिए प्रभावी मनोवैज्ञानिक उपचार मौजूद है। और भी अनेक प्रकार की मेन्टल बीमारियां हैं जैसे कि:
प्रबंधन और इलाज
मानसिक स्वास्थ्य बीमारियों का इलाज कैसे होता है? इलाज में ये शामिल हो सकते हैं:
निष्कर्ष
मानसिक स्वास्थ्य बीमारियाँ गंभीर समस्या हैं, लेकिन इनका इलाज संभव है। समाज को चाहिए कि वह मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को गंभीरता से ले और पीड़ितों को उचित सहायता और समर्थन प्रदान करे। शिक्षा, जागरूकता, और समर्थन से हम मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को कम कर सकते हैं और एक स्वस्थ समाज की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।
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